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Monday, 25 March 2024

दान के द्वारा सुख समृद्धि की प्राप्ति



दान को धर्म का एक महत्त्वपूर्ण अंग माना जाता है। इसके मूल में यह धारणा है कि दान में दिया गया पदार्थ कई गुना होकर दानकर्ता को प्राप्त होता है। अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति और ग्रह दशा को अनुकूल बनाने के लिए विभिन्न पदार्थों तथा सुनिश्चित देश काल में दान का विधान शास्त्रों में किया गया है। ऐसा दान सुखकर होता है। जब करुणा और दया की भावना से प्रेरित होकर दान किया जाता है तो वह मन को शुद्ध करता है। ऐसा होने पर कामनाओं की पूर्ति तथा सुख-समृद्धि एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है।

•चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी को मोतीचूर के लड्डुओं का दान किसी ब्राह्मण को करने से विघ्नों का नाश होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

• किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर श्वेत वस्त्र धारण करके श्वेत वस्त्र का दान किसी ब्राह्मण को करें। साथ ही कुछ रुपए तथा मिष्ठान भी दें। सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

• कार्तिक मास की अष्टमी को चावलों से भरी हांडी तथा एक साड़ी ब्लाउज पर पांच रुपए रखकर किसी सुहागिन ब्राह्मणी को दान करने से घर में क्लेश नहीं होता तथा खुशहाली बनी रहती है।

• फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर चावल, जौं और तिलों का दान करने से संतान लाभ होता है और अन्य मनोकामनाओं की भी पूर्ति होती है।

• ज्येष्ठ मास की एकादशी को प्रातः काल नमो ॐ भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए स्वर्ण, गौ, छत्र, वस्त्र एवं फल का दान करें। दीर्घायु तथा मोक्ष की प्राप्ति होगी।

• मार्गशीष मास के कृष्ण पक्ष के प्रत्येक रविवार को कुत्तों को शाकाहारी भोजन देने से सभी प्रकार का भौतिक सुख तथा ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

• पौष मास के कृष्ण पक्ष के किसी भी रविवार को भगवान अच्युत को पूरा आरती तथा भोग के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने और सामर्थ्य के अनुसार दान देने से सभी कार्यों में सफलता मिलने लगती है।

• चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को जी, गेहूं और मूंग का दान करें। विपत्तियों का निवारण हो जाएगा।

• कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गाय के दूध से बनी वस्तुएं फल तथा गेहूं के आटे की रोटी का दन किसी को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

• चैत्र मास के शुक्ल पक्षको चतुर्थी को प्रातःकाल कन्या स्नानादि करने के बाद भगवान कृष्ण को पूजा आरती करके उनसे उत्तम वर की प्राप्ति की याचना करें। फिर में प्रयुक्त सामग्री तथा कुछ मिष्ठान किसी सुहागिन स्त्री को दान कर दें। जनम वर की प्राप्ति अवश्य होगी।

• किसी भी मास की अष्टमी को आरंभ करके प्रत्येक मास की अष्टमी को ब्राह्मण एवं ब्रह्मगियों को भोजन कराकर कोई और कुछ धन का दान करने से समस्त रोगों का निवारण हो जाता है।

• ज्येष्ठ मास की एकादशी को मौसमी फल, खिचड़ी एवं धन का दान करें। हत्या परनिंदा भूतयोनि जैसे निकृष्ट कर्मों से छुटकारा मिल जाएगा।

• भद्रपद मास की चतुर्थी की ब्राह्मणियों को भोजन करवाकर अन्न वस्त्र आदि का दान देने से धन-धान्य की वृद्धि होती है तथा व्यापार एवं नौकरी में उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

• रामनवमी के दिन किसी प्राचीन मंदिर में जाकर श्री राम-सीता को वस्त्र दान करें। व्यापार में सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

● किसी भी दिन प्रात:काल 11 अभिमंत्रित गोमती चक्रों पर 11-11 रुपए रखकर 11 ब्राह्मणों को दान करने से धन हानि दूर होकर आर्थिक लाभ होने लगता है।

• यदि मंगली होने के कारण कन्या के विवाह में बाधा आ यहाँ हो तो वह मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर मुंगे की माला का दान करे। जल्दी हीं विवाह हो जाएगा।

• अभिमंत्रित गोरोचन को तांबे या चांदी के कवच में भरकर कंठ में धारण करने से दुर्भाग्य नष्ट होता है।