Tuesday, 2 April 2019

Shri Bajrang Baan

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करै सनमान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद करै हनुमान ||चौपाईजय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ||

जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महासुख दीजै ||

जैसे कुदि सिन्धु महिपारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा ||

आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुर लोका ||

जाय विभीषण को सुख दीन्हा, सीता निरखि परम पद लीन्हा ||

बाग उजारि सिन्धु मँह बोरा, अति आतुर यमकातर तोरा ||

अक्षय‌-कुमार को मारी संहारा, लुम लपेटि लंक को जारा ||

लाह समान लंक जारि गई, जय जय धुनि सुरपुर में भई ||

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी ||

जय जय लखण प्राण के दाता, आतुर होई दुख करहुँ निपाता ||

जय गिरिधर जय जय सुख सागर, सुर समूह समरथ भटनागर ||

ॐ हनु-हनु-हनु हनुमन्त हठीलै | बैरिह मारु बज्र की कीलें ||

गदा बज्र लै बैरिहि मारौ, महाराज प्रभु दास उबारौ ||

ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ||

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा | ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा ||

सत्य होहु हरि सपथ पायके, रामदूत धरू मारू जाय के ||

जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा ||

पुजा जप जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ||

बन उपवन मग गिरि गृह माँहि, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ||

पांय परौं कर जोरि मनावौं, येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ||

जय अंजनी कुमार बलवन्ता, शंकर सुबन वीर हनुमन्ता ||

बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक ||

भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि बेताल काल मारी मर ||

इन्हें मारू तोहिं शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की ||

जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकि शपथ विलम्ब न लावौं ||

जय-जय-जय धुनि होत अकाशा, सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा ||

चरन शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गुहरावौ ||

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई ||

ॐ चं-चं-चं-चं(चम-चम-चम-चम) चपल चलन्ता, ॐ हनु-हनु-हनु-हनु-हनु हनुमन्ता ||

ॐ हं-हं(हम-हम) हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं(सम सम) सहमि पराने खल दल ||

अपनें जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ||

यह बजरंग बाण जेहि मारै, ताहि कहो फिर कौन उबारै ||

पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राण की ||

यह बजरंग बाण जो जापै, ताते भूत-प्रेत सब कांपै ||

धूप देय जो जपै हमेशा, ताके मन नहिं रहै कलेशा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान |
तेहि कें कारज सकल शुभ, सिद्द करैं हनुमान ||

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